आत्मदुर्व्यवहारस्य फलं भवति दुःखदम्।
तस्मात् सद्व्यवहर्तव्यं मानवेन सुखैषिणा ॥ Hindi mean
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आत्मदुर्व्यवहारस्य फलं भवति दुःखदम्।
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Answer:
below is the answer
Explanation:
वर्तमान युग का इंसान बिना विशेष परिश्रम के ऐहलौकिक और पारलौकिक फलों की प्राप्ति करना चाहता है, किंतु इसके लिए उनके पास न समय है और न ही उचित मार्गदर्शन। ऐसे लोगों के लिए श्रीमद्भागवत का पठन-श्रवण सरलतम मार्ग है।
जो प्राचीन होकर भी नित्य नवीन है, वह 'पुराण' है। पुराण सनातन धर्म का प्राण तथा वेदों के समान अनादि और अपौरुषेय हैं।
अठारह पुराणों के उपवन में श्रीमद् भागवत कल्पतरु की भांति शोभायमान है। बारह स्कंध तथा अठारह हजार श्लोकों वाले यह पुराण ज्ञान का अक्षय भंडारतथा विद्वता की कसौटी है।