हम बहुत बड़ण अन्यणय कर रहे होते हैं,यदद
I. दकसी को लूट लेते हैं
II. दकसी को दटकिे िहीं देते
III. दकसी को िीिे कण अदधकणर िहीं देते
IV. दकसी से दुश्मिी रखते हैं
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हम बहुत बड़ण अन्यणय कर रहे होते हैं,यदद
I. दकसी को लूट लेते हैं
II. दकसी को दटकिे िहीं देते
III. दकसी को िीिे कण अदधकणर िहीं देते
IV. दकसी से दुश्मिी रखते हैं
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Answer:(1)
यदि इंसान ऐसा करता है, तो यह बहुत बड़ा अन्याय है। हमारे विचार स्वाभाविक रूप से एकदुसरे से मेल नहीं खाते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं होता कि हम दूसरों को उसके जीने के हक में वंचित कर दें। ... दूसरों के जीने के हक को छीनने से बड़ा अपराध या पाप कुछ नहीं हो सकता।
Explanation:
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