i need an essay on "aaj ki bachat, kal ka sukh". please. and fast!
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जीवन में बचत अथवा संचय का उतना ही महत्व है जितना कि आमदनी का । मनुष्य की आमदनी कितनी ही अधिक हो परंतु यदि उसमें संचय की प्रवृत्ति नहीं है तो उसे समय-समय पर अनेकों कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है ।
मनुष्य का जीवन विभिन्न उतार-चढ़ावों से परिपूर्ण होता है । सुख और दुख जीवन के अभिन्न अंग हैं । करोड़पति व्यक्ति भी दूसरे पल ही कंगाली की अवस्था में पहुँच सकता है । इन परिस्थितियों में मनुष्य की बचत अथवा संचय की प्रवृत्ति उसे उबारने में विशेष सहायता प्रदान करती है ।
वास्तविक रूप में बचत आमदनी का ही एक रूप है ! थोड़ी सी सावधानी और विवेक से अनेक अनावश्यक खर्चों से बचा जा सकता है तथा उस बचत को विशेष आवश्यकता की स्थिति में प्रयोग में लाया जा सकता है । प्राय: यह सुनने में आता है कि धनी व्यक्ति कंजूस होते हैं । परंतु यदि हम विवेकपूर्ण दृष्टि से देखें तो वे अनेक अनावश्यक खर्चों से बचते हैं । बिना बचत को पूर्ण महत्ता दिए हुए कोई भी व्यक्ति धनवान नहीं बन सकता है ।
पैसे अथवा धन की बचत ही महत्वपूर्ण है, आवश्यक नहीं; मनुष्य अनेक रूपों में जीवन में बचत कर सकता है । समय अत्यंत महत्वपूर्ण है । एक बार गुजरा हुआ समय दुबारा वापस नहीं लौटता है । अत: मनुष्य के लिए समय की बचत व उसके महत्व को समझना अत्यंत आवश्यक है ।