jaan bachi to lakhon paye par ek kahani de brainliest assured but you must be fastplzz
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Heya !आज हमें स्कूल में बहुत सारा गृहकार्य मिला था । हर विषय पर मिला था - हिन्दी ,गणित, अंग्रेजी, जीवविज्ञान और छठा विषय । घर आने पर मैंने मुँह-हाथ धोया, खाना खाया और फिर बाहर खेलने चला गया । मुझे बहुत मज़ा आ रहा था फिर मुझे याद आया कि घर पर मेरा गृहकार्य मेरा इंतज़ार कर रहा है ।
भागा-भागा में घर पहुँचा । भागने की वजह से में थक गया था । इस कारण मैं पानि पीने और पसीना सुखाने पंखे के नीचे बैठ गया । ठंडी हवा से मुझे बहुत आराम मिला । इस से मुझे नीन्द आ गई । मुझे सोते-सोते एक सपना आया कि मीनल आँटी मुझे डाँट रही हैं , यह देख कर मैं चौंक कर उठा और मुझे याद आया कि मेरी किताबें मेरा इंतज़ार कर रही हैं ।
मैं तुरन्त अपने कमरे में गया और पढ़ने बैठ गया पर जैसे ही मैंने काम करना शुरु किया वैसे ही माँ ने मुझे खाने के लिए बुला लिया । खाना बहुत अच्छा था पर डर के मारे मैं उसे निगल नहीं पा रहा था । मैंने जल्दी से खाना खत्म किया और अपने कमरे में गया जैसे ही मैंने काम शुरु किया वैसे ही मेहमान आ गए । मैं सबसे अच्छी तरह से मिला । मुझे बहुत सारे तोहफे भी मिले । ऊपर से तो मैं हँस रहा था पर अंदर से मुझे पछतावा हो रहा था । मुझे पछतावा इस बात का था कि मैंने अपना काम पूरा नहीं किया था । मेहमानों के जाने के बाद में देर रात तक काम करता रहा । रात के बारह बजे मुझे बहुत ज़ोर की नींद आने लगी पर मैं अपनी नींद से लड़ते हुए काम करता रहा । पर मेरी आँखें बंद हो गईं और नींद ने मुझे मेरे लक्ष्य से हटा दिया ।
जब मैं सुबह उठा तो मैं डर के मारे स्कूल नहीं जाना चाहता था । माँ भी सो रही थीं । फिर मुझे एक कहावत याद आयीं कि हमें अपनी गल्ती से भागना नहीं चाहिए, हमें उसका सामना करना चाहिए । मैं अपनी हिम्मत जुटा कर बस्ता बाँधा और स्कूल गया ।
स्कूल पहुँचते ही मुझे पता चला कि आज स्कूल नहीं है । तब मुझे यह कहावत याद आई, "जान बची तो लाखों पाए ।"