Nibandh on किसान की आत्मकथा in hindi
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Nibandh on किसान की आत्मकथा in hindi
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अभिनेता अपने बच्चों को अभिनेता,
मगर एक किसान कभी अपने बच्चों को,
किसान बनाना नहीं चाहता/
सोचा है क्यों………?
” किसान की आत्मकथा”
दुःख तो मेरा साथी है,
सुख मेरा मेहमान है
लोग मुझे अन्न दाता कहते,
मेरा नाम किसान है
घास फूस का घर है मेरा
धूप जहां खलिहान है
बादल मेरी किस्मत लिखता
बाढ़ -सूखा मेरा इम्तहान है/
ठंड बिताता कांप कांप कर,
काम करता हांफ हांफ कर,
बेटी की शादी के कर्जे के बदले,
कुच्छ साहूकार ले जाता है,
कुच्छ बिचौलिये के बलि चड़ती,
पढ़ाई लिखाई दूर है भाई ,
अन्न उगाकर भी बच्चों को
अन्न बिना तरसाता हूँ,
मौन रह कर आंशु पीकर भी जब
जीना मुश्किल हो जाता,
खुद के गमच्छों से खुद को बलि चड़अता हूँ/
दुःख तो मेरा साथी है,
सुख मेरा मेहमान है
लोग मुझे अन्न दाता कहते,
मेरा नाम किसान है/
जीवन दाई अन्न को जब तक समझ न पाओगे
मैं तो मरता हीं रहूँगा,
तुम सब भी मर जाओगे/