pariksha mai asafal hone par bahan ko satvana patar likhe
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नई दिल्ली
दिनांक: 25 अप्रैल, 20....
प्रिय बहन
सस्नेह आशीर्वाद।
आशा है तुम स्वस्थ और कुशल होगे। आज ही पिता जी के पत्र से ज्ञात हुआ कि इस वर्ष तुम वार्षिक परीक्षा में अनुत्तीर्ण हो गए हो। मुझे बहुत दुख हुआ। मैंने सोचा भी नहीं था कि तुम परीक्षा में असफल हो सकते हो। तुम्हे इस असफलता से दुख हुआ होगा, परंतु तुम्हें निराश नहीं होना चाहिए। तुम्हें एक कवि की ये पंक्तियां नहीं भूलनी चाहिए-
"एक बार यदि सफल ना हो तो पुनः करो उद्योग"
एक छोटी सी चींटी भी बार-बार प्रयास करने पर चावल का दाना उठाकर दीवार पर चढ़ सकती है। एक मकड़ी भी अपने प्रयास के द्वारा जाल बुन सकती है, तो तुम्हारे जैसे साहसी व परिश्रमी छात्र के लिए परीक्षा में सफल होना कोई कठिन नहीं है। इस वर्ष तुम्हारे घर की कमजोर आर्थिक स्थिति व पिता जी की रुग्णता तुम्हारी सफलता में बाधक हुई है।
अब पूरी लगन से उन परिस्थितियों पर विजय पाकर परीक्षा में सफल होने का प्रयास करो। भाग्य साहसी और परिश्रमी व्यक्तियों का सदा साथ देता है।
शुभकामनाओं सहित। शेष फिर।
तुम्हारा अग्रज
दिनेश पाल
Answer:
oh no oh no oh nonononono