निबंध लेखन :- माँ जननी
please write only correct answer.
Share
निबंध लेखन :- माँ जननी
please write only correct answer.
Sign Up to our social questions and Answers Engine to ask questions, answer people’s questions, and connect with other people.
Login to our social questions & Answers Engine to ask questions answer people’s questions & connect with other people.
Answer:
भूमिका : माँ शब्द की कोई परिभाषा नहीं होती है यह शब्द अपनेआप में पूरा होता है। माँ शब्द को किसी भी तरह से परिभाषित नहीं किया जा सकता है। असहनीय शारीरिक पीड़ा के बाद एक बच्चे को जन्म देने वाली माँ को भगवान का दर्जा दिया जाता है क्योंकि माँ जननी होती है और भगवान ने माँ के द्वारा ही पूरी सृष्टि की रचना की है।
माँ दुनिया में सबसे अधिक प्यार दुलार केवल अपने बच्चे से करती है लेकिन जब बच्चा गलत राह पर चलने लगता है तो माँ अपने कर्तव्यों को निभाना भी अच्छी तरह से जानती है। एक माँ कभी नहीं चाहती कि उसका बच्चा किसी भी गलत संगत में पडकर अपने भविष्य को खराब कर ले। माँ हमेशा अपने बच्चे की परवाह करती है।
भगवान का एक रूप : माँ दुनिया में भगवान का एक दूसरा रूप होती है जो हमारे दुःख लेकर हमे प्यार देती है और अच्छा इंसान बनाती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान हर किसी स्थान पर नहीं रह सकता इसलिए उसने माँ को बनाया है हालाँकि माँ के साथ कुछ महत्वपूर्ण क्षणों को वर्णित किया जा सकता है।
माँ असहनीय कष्टों को सहकर भी चुप रहती है लेकिन अगर बच्चे को जरा-सी चोट लग जाती है तो वह बहुत दुखी और परेशान हो जाती है। बच्चे का दुःख माँ से देखा नहीं जाता है। भगवान ने माँ को बच्चों के दुःख हरने और उन्हें प्यार तथा सुरक्षा प्रदान करने के लिए बनाया है।
एक माँ आभाष से यह जान लेती है कि उसका बच्चा किसी संकट में है वह अपने बच्चे के लिए पूरे देश, समाज और दुनिया से लड़ जाती है। भगवान ने इस शक्ति को माँ को प्रदान किया है ताकि माँ अपने बच्चे की रक्षा कर सके। माँ दुनिया का सबसे आसान शब्द है और इस शब्द में भगवान खुद वास करते हैं।
मदर डे : माँ के प्रेम को किसी भी एक दिन में बांध पाना बहुत मुश्किल है लेकिन फिर भी मदर डे मनाया जाता है जिससे बच्चा माँ को वह प्यार और सम्मान दे सके जिसकी वह हकदार होती है। भारत देश में मदर डे को हर वर्ष मई महीने के दूसरे रविवार को मनाया जाता है जिससे बच्चे एक दिन पूरी तरह से अपने सारे काम भूलकर अपनी माँ के साथ समय बिता सकें और उनका ध्यान रख सकें।
इस एक दिन को वह बच्चे के रूप में जीना बहुत पसंद करता है। बच्चा यह चाहता है कि उसकी माँ उससे पहले की तरह प्यार करने लगे, उसकी चिंता करे, उसे कहानियाँ सुनाए। मदर डे को मदर टेरेसा जी की याद में मनाया जाता है। मदर टेरेसा जी ममता की देवी थीं। उन्हें भगवान का दूसरा रूप माना जाता था इसलिए उनके सम्मान में हर साल मदर डे मनाया जाता है।
माँ का महत्व : समाज और परिवार में माँ का बहुत महत्व होता है। माँ के बिना जीवन की उम्मीद भी नहीं की जा सकती है। अगर माँ न होती तो हमारा अस्तित्व भी नहीं होता। खुशी छोटी हो या बड़ी माँ उसमें बढ़-चढकर हिस्सा लेती है क्योंकि माँ के लिए हमारी खुशी ज्यादा मायने रखती है।
माँ बिना किसी लालच के अपने बच्चे को प्यार करती है और बदले में केवल बच्चे से प्यार ही चाहती है। हर किसी के जीवन में माँ एक अनमोल इंसान होती है जिसके बारे में शब्दों में कहा नहीं जा सकता। एक माँ बच्चे की छोटी-से-छोटी जरूरत का ध्यान रखती है। माँ बिना किसी लाभ के हमारी प्रत्येक जरूरत का ध्यान रखती है।
माँ हमें जीवन में सही कार्य करने के लिए प्रेरित करती है। माँ बच्चे की सबसे पहली अध्यापक होती है जो उसे बोलना, चलना सिखाती है। एक माँ ही बच्चे को अनुशासन का पालन करना, अच्छा व्यवहार करना और देश, समाज, परिवार के लिए हमारी जिम्मेदारी और भूमिका को समझाती है।
माँ की ममता : माँ अपने बच्चे की पसंद-नापसंद को सबसे बेहतर समझती है और बच्चे को सही गलत में अंतर करना सिखाती है। इस दुनिया में माँ की तुलना किसी और से नहीं की जा सकती है क्योंकि बच्चे को पालने के लिए माँ के जितना स्नेह, त्याग और अनुशासन कोई और नहीं कर सकता हैl
हम कहीं भी रहे माँ का आशीर्वाद हमारे साथ रहता है। माँ के आशीर्वाद के बिना रहना हमारे लिए कल्पना से परे है। माँ के प्रेम की तुलना किसी और चीज से करना सूरज के सामने दीया जलाने के समान है। सुबह के समय वह बहुत ही प्यार के साथ बच्चे को उठाती है और रात के समय वह बहुत प्यार के साथ कहानियाँ सुनाकर बच्चे को सुलाती है।
माँ बच्चे को स्कूल जाने के लिए तैयार होने में बच्चे की मदद करती है और बच्चे के लिए सुबह का नाश्ता और दोपहर का खाना भी बना कर देती है। माँ दोपहर को बच्चे के स्कूल से आने का इंतजार करते हुए दरवाजे पर खड़ी रहती है। माँ बच्चे का होमवर्क करवाती है। परिवार के सदस्य अन्य कामों में व्यस्त रहते हैं लेकिन माँ सिर्फ बच्चे के लिए समर्पित रहती है।
जब बच्चे को कोई हानि होती है तो माँ को दूर से ही आभाष हो जाता है कि उसकी संतान पर कोई संकट है। माँ की ममता ऐसी होती है कि बच्चा अपनी माँ से बिना डरे हर बात साझा कर लेता है। चाहे बच्चा कितना भी बड़ा हो जाये लेकिन वह माँ के लिए सदैव ही बच्चा रहता है और एक बच्चे की तरह ही उसकी देखभाल करती है।
माँ की आवश्यकता : हमारे लिए माँ सबसे अच्छा खाना बनाने वाली, सबसे अच्छी बातें करने वाले, सबसे अच्छा सोचने वाली और सभी दुखों के सामने पहाड़ की तरह खड़ी रहने वाली है लेकिन माँ जरूरत पड़ने पर अपने बच्चे के अच्छे भविष्य के लिए उसे डांट भी सकती है। माँ बच्चे को सही कामों के लिए सदैव समर्थन देती है।
उपसंहार : आज की भाग दौड़ की जिंदगी में मनुष्य अपनी दूसरी परेशानियों या खुशियों को अधिक प्राथमिकता देते हैं और दूसरी बातों की वजह से अपनी जननी को नजर अंदाज कर देते हैं। हमें कभी-भी अपनी जननी को नहीं भूलना चाहिए क्योंकि उनके एहसान को हम कभी नहीं चुका सकते इसलिए आप अपनी खुशियों और दुखों में कहीं पर भी हों लेकिन अपनी माँ को न भूलें और न ही उसे कभी अकेला छोड़ें।
tum mujhe brainliest de do to main bhi de dungi aur mere sare answers per thanks de do main bhi dungi ok