please write this aarth first and second.
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1) उस आदमी का जीना या मरना अर्थहीन है जो अपने स्वार्थ के लिए जीता या मरता है। जिस तरह से पशु का अस्तित्व सिर्फ अपने जीवन यापन के लिए होता है, मनुष्य का जीवन वैसा नहीं होना चाहिए। ऐसा जीवन जीने वाले कब जीते हैं और कब मरते हैं कोई ध्यान ही नहीं देता है। हमें दूसरों के लिए कुछ ऐसे काम करने चाहिए कि मरने के बाद भी लोग हमें याद रखें। साथ में हमें ये भी अहसास होना चाहिए कि हम अमर नहीं हैं। इससे हमारे अंदर से मृत्यु का भय चला जाता है।
2)जो आदमी पूरे संसार में अत्मीयता और भाईचारा का संचार करता है उसी उदार की कीर्ति युग युग तक गूँजती है। धरती भी सदैव उसकी कृतघ्न रहती है। समस्त सृष्टि उस उदार की पूजा करती है और सरस्वती उसका बखान करती है।
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