write about piano in Hindi
Share
Sign Up to our social questions and Answers Engine to ask questions, answer people’s questions, and connect with other people.
Login to our social questions & Answers Engine to ask questions answer people’s questions & connect with other people.
महावाद्य या पियानो तारवाला वाद्ययंत्र है। इसका आविष्कार 10वीं शताब्दी में हुआ था और धीरे-धीरे यह अपने वर्तमान रूप में विकसित हुआ है। आरंभ में इसकी आकृति आधुनिक पियानों से भिन्न थी। उसमें एक ग्रिल होती थी, जिसे घुमाने से तीन-तार एक साथ पहिए पर ध्वनि पैदा करते थे।
बनावटसंपादित करें
महावाद्य में 88 स्वर हाते हैं, जो अष्टकों में विभक्त होते हैं। उनचासवाँ स्वर पिच ए कहलाता है और उसकी आवृत्ति 440 प्रति सेकंड होती है। अमरीका की ब्रिटेन में इस स्वर को प्रामाणिक स्वर माना जाता है तथा शेष स्वरों को इसकी सहायता से ठीक किया जाता है। तारों की लंबाई गुणोत्तर श्रेणी (ज्योमेट्रिकल प्रोग्रेशन) में होती है और जर्मनी में श्रेणी का अनुपात 1.875, परंतु ब्रिटेन में 1.89 लिया जाता है।
88वें तार की लंबाई 5 तथा 5.5 सेंटीमीटर के बीच होती है। इस तार के हिसाब से ही अन्य तारों की लंबाई, मोटाई तथा भार निश्चित किया जाता है। महावाद्य के तार विशेष प्रकार के इस्पात से बनाए जाते हैं और 150 टन प्रति वर्ग इंच का खिंचाव सहन कर सकते हैं।
ध्वनिपट्टसंपादित करें
जब तार झंकृत होते हैं तब वे सेतु पर खिंचाव पैदा करते हैं। यह सेतु ध्वनिपट्ट से संलग्न होता है, जिससे संपूर्ण ध्वनिपट्ट कंपन करने लगता है। इससे निकट की वायु में ध्वनितरंगें उत्पन्न होती हैं। ध्वनिपट्ट पीसिया एक्सेल्सा नामक लकड़ी का बना होता है, जो बहुत हलकी होती है।
तार और सेतु का परस्पर संबध दृढ़ करने के लिए, तार के दोनों सिरों के स्तरों से सेतु को ऊँचा रखा जाता है। इससे ध्वनिपट्ट पर वांछित दबाव पैदा होता है। पियानो बनाने में यही सबसे अधिक कठिन काम है। सेतु पर से जानेवाला तार प्राय: आधार से डिग्री का कोण बनाता है।
स्वरसंपादित करें
पियानो का प्रत्येक स्वर मिश्रित होता है। प्रत्येक स्वर मूल स्वर और संनादी स्वरों के मेल से बनता है। मूल स्वर और उसके सन्नादी स्वरों का अनुपात लगभग 1 : 2 : 3 : 4 आदि होता है। उदाहरण के लिए, मध्य स्वर सी क् में मूल स्वर की आवृत्ति 261.6 होती है और उसके सन्नादी स्वरों की अवृत्तियाँ क्रम से 523.25, 783.99, 1046.5, 1318.57, 1567.9 आदि होती हैं। इन स्वरों को यदि एक साथ छेड़ा जाए, तो उनका प्रभाव कर्णप्रिय होता है। हाँ, सातवें और नवें स्वर इसके अपवाद हैं।
तार को यदि एक सिरे से आगे, लंबाई के आठवें भाग पर, छेड़ा जाए, तो सर्वोंत्तम स्वर उत्पन्न होता है। यह बात 51वें स्वर तक सत्य है, परंतु इसके बाद अनेक कारणों से निकटतर बिंदुओं पर छेड़ने से वांछित स्वर निकलते हैं।
यदि कोई तार एक सेकंड में 1,000 कंपन करे, तो एक कंपन वह सेकंड में करेगा। प्रयोगों द्वारा यह मालूम किया गया है कि वांछित ध्वनि उत्पन्न करने के लिए यह आवश्यक है कि हथौड़ा और तार का संपर्क एक कंपन के लिए आवश्यक काल के आधे तक रहे, अर्थात् सेकंड तक रहे।
उत्तोलकसंपादित करें
हथौड़े तारों से 2 इंच के फासले पर होते हैं। ये हथौड़े एक विशेष प्रकार के उत्तोलकों (लीवरों) की सहायता से चलते हैं। जब कुंजी (key) दबाई जाती हैं, तब यह दूरी केवल इंच रह जाती है। इसका फल यह होता है कि हथौड़े तारों पर जल्दी-जल्दी चोट करते हैं। जिन उत्तोलकों की सहायता से ये हथौड़े चलते हैं, उन्हें ऐक्शन कहते हैं।
स्पर्शसंपादित करें
कुंजी 9 मिलीमीटर तक नीचे जाती है। इस बात को संसार के सब पियानो निर्माता ध्यान में रखते हैं। कुंजी को एक विशेष दूरी पर कीलित (pivoted) करते हैं, ताकि जब उसे दबाया जाए तो वह दूसरी ओर से छह मिलीमीटर ऊपर उठे। सर्वोत्तम स्पर्श वह होता है जब कुंजी सामान्य अवस्था में पीछे की ओर (बजानेवाले के दूसरी ओर) झुकी हो और जब आधी दबाई जाए तब वह क्षैतिज स्थिति में हो जाए, यानी कुंजी के दोनों सिरे एक स्तर पर हो जाएँ। जब कुंजी इस क्षैतिज स्थिति में आती है, तब उसपर अवमंदक (damper) का बोझ पड़ता है, परंतु चूँकि कुंजी वेगयुक्त होती है इसलिए वह बोझ को संभालने में समर्थ होती है।
पियानो का ढाँचा लोहे का होता है। इसपर 220 तारों के खिंचाव का दबाव पड़ता है।
पदिक (pedals)संपादित करें
स्वरों का नियंत्रण दो पदिकों से होता है। बाईं ओर के पदिक को दबाने से हथौड़े तारों के पास जाते हैं और इस प्रकार चोट की तीव्रता कम होती है। दाएँ पदिक को दबाकर सब अवमदकों को इच्छानुसार तारों से ऊपर उठाते हैं। अमरीका में एक पदिक बीच में भी होता है। इसे सास्टेन्यूटो कहते हैं और यह सब को उठाने के बजाए केवल उन अवमंदकों को उठाता है जो पहले से ही उठे होते हैं।
सब देशों में पियानों बनाने की विधि और पियानो का आकार प्राय: एक समान होता है। इसका कारण यह है कि सभी पियानो के लिए बहुत सी बातों की आवश्यकताएँ एक-सी होती हैं, जैसे ध्वनिपट्ट, फर्श से ऊँचाई, घुटनों के लिए जगह, पदिकों की स्थिति तथा वे प्राकृतिक नियम जो खिंचे हुए तारों के कंपनों पर लागू होते हैं।