Write an essay about priya thyohar in Hindi
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My favourite festival is Diwali..... so writing about it....
दिवाली का त्योहार कई दिनों के उत्सवों का एक सामूहिक नाम हैं. जिसकी शुरुआत धनतेरस से हो जाती हैं इस दिन बर्तन गहने तथा कीमती वस्तुएं खरीदने की परम्परा हैं. इसका अगला दिन नरक चतुदर्शी का होता हैं इसे छोटी दिवाली भी कहते हैं. इस दिन एक दीपक जलाने की परम्परा हैं.
कार्तिक अमावस्या का दिन दिवाली उत्सव का मुख्य दिन होता हैं. इस रात्रि को शुभ मुहूर्त में पूजन के साथ माँ लक्ष्मी को प्रसन्न किया जाता हैं. दीपावली का अगला दिन गौवर्धन पूजा का होता हैं, इस अवसर पर गायों व बछड़ों का पूजन किया जाता हैं. इस पंचदिवसीय पर्व का आखिरी दिन भैया दूज है जिसे भाई बहिन का त्योहार भी कहते हैं.
दिवाली के त्यौहार का धार्मिक, पौराणिक तथा सामाजिक दृष्टि से अपना महत्व हैं. इसकों मनाने के पीछे की मूल कथा का सम्बन्ध भगवान राम से जुड़ा हैं. कहते हैं जब श्रीराम राक्षस राज रावण का वध करने के बाद जब चौदह वर्ष के वनवास की अवधि पूर्ण कर अयोध्या आए तो उनके आगमन को लोगों ने उत्सव की तरह घी के दीपक जलाकर मनाया.
रामायण के प्रसंगों के मुताबिक़ राम, सीता और लक्षमण के अयोध्या होने के बाद राम को अयोध्या का राजा घोषित कर उनका राजतिलक किया गया. प्रजा ने इन अवसरों पर घर पर घी के दीप प्रज्वलित किये. इस तरह सदियों से इस परम्परा का निर्वहन करते हुए दिवाली के उत्सव को आज भी घी के दीपक जलाते हैं.
दिवाली के पर्व की तैयारी की शुरुआत कई महीनों पूर्व से ही शुरू हो जाती हैं. लोग दशहरा के बाद से अपने घर, दुकान, दफ्तर आदि की साफ़ सफाई, रंग रोगन व सजावट में लग जाते हैं. दिवाली से दो दिन पूर्व धनतेरस पर हर कोई थोड़ी या अधिक खरीददारी अवश्य करता हैं. अमावस्या की रात्रि को शुभ मुहूर्त के समय धन की देवी माँ लक्ष्मी का पूजन कर दीप प्रज्वलित किये जाते हैं.
प्रत्येक समाज में ख़ुशी के पर्वों का बड़ा महत्व हैं. रौशनी का त्योहार दिवाली भी जन जन के दिलों को उल्लास से भर देता हैं. रोजमर्रा के व्यस्त जीवन के बीच कुछ दिनों के अवकाश और पर्व की तैयारी व खरीददारी के अवसर को कोई नहीं छोड़ना चाहता. पर्व के मौके पर आस-पास का परिदृश्य पूरी तरह बदल जाता हैं. सभी लोग नये व रंग बिरंगी वेशभूषा में नजर आते हैं घर स्वच्छ होते हैं रंगोलियों से आँगन सजे होते हैं दीपकों की मालाएं स्वर्ग सा पावन नजारा प्रस्तुत करती हैं.
बचपन से मुझे दिवाली का उत्सव बहुत प्रिय रहा हैं. जब मैं अपने माता पिता के साथ बाजार जाकर खरीददारी करने में उनका हाथ बंटाता, कई दिनों तक घर की सफाई के महोत्सव में सभी शामिल होते, दूर दूर के रिश्तेदार घर आते तथा सबसे बड़ा तोहफा हमारी स्कूल की छुट्टियों का था. सम्भवतः वर्षभर में सबसे अधिक छुट्टियों का आनन्द मुझे इसी दिन प्राप्त होता था.
मानव सदा से उत्सव प्रिय रहा हैं. अक्सर मौसम परिवर्तन के अवसरों पर त्यौहार मनाए जाते हैं जिससे विगत कुछ महीनों की जीवन शैली को बदलने के लिए एक उत्सव के रूप में नये सीजन में प्रवेश किया जाता हैं प्राचीन पर्व दिवाली भी एक ऐसा ही पर्व हैं जो वर्षा ऋतु की समाप्ति और शरद ऋतु के आगमन के समय में मनाया जाता हैं. इस समय दीपक की रौशनी तथा घर व आसपास की साफ़ सफाई से वातावरण में कीटाणु समाप्त हो जाते हैं, इस तरह यह पर्व हमारे वातावरण को स्वच्छ रखने में भी अहम भूमिका निभाता हैं.
दिवाली का त्योहार मेरा प्रिय पर्व होने के कई बड़े कारण हैं, एक तरफ यह तनाव भरे जीवन में उत्साह और उमंग का संचार करता हैं. वहीँ असत्य पर सत्य की, अधर्म पर धर्म की, अन्धकार पर प्रकाश व अन्याय पर न्याय की विजय का प्रतीक पर्व हैं जो भारतीय संस्कृति एवं संस्कारों को अगली पीढ़ी तक पहुचाने के माध्यम की भूमिका का निर्वहन कर रहा हैं.
दिवाली की पवित्रता, इसका धार्मिक महत्व बहुत बड़ा हैं. एक हिन्दू धर्म के अनुयायी होने के नाते हमें इस पर्व को मर्यादा में रहकर मनाना चाहिए. बहुत से लोग इस पावन पर्व की पवित्रता पर लांछन लगाते है जो प्रभु राम जी के जीवन से जुड़े इस अहम दिन भी शराब पीकर लोगों को तंग करने, गाली ग्लौछ करने में से बाज नहीं आते हैं मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ ऐसे भटके प्राणियों को सद्बुद्धि प्रदान करे|